इंदौर। लहसुन की कीमतों ने मालवा-निमाड़ सहित मध्यप्रदेश के किसानों को रुला दिया है। सबसे बड़े उत्पादक रतलाम, मंदसौर, नीमच, इंदौर की मंडियों में थोक में लहसुन 45 पैसे से 1 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है। इससे गुस्साए किसानों ने लहसुन लाना ही बंद कर दिया है। 8 दिन पहले मध्यप्रदेश में 61 हजार क्विंटल लहसुन आया था। यह 13 अगस्त को घटकर 3 हजार क्विंटल ही रह गया है। इसकी एक वजह त्योहार भी है लेकिन भाव नहीं मिलना ही बड़ा कारण है, यह किसान मानते हैं।
देवी अहिल्या होल्कर फल व सब्जी मंडी (चोइथराम) के प्रभारी आरसी परमार ने बताया लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। मौसम के कारण कई इलाकों में लहसुन की फसल बिगड़ गई है। वे कहते हैं कि इस कारण से खराब लहसुन के रेट्स नहीं मिल रहे हैं।
मंडियों के हालात
मालवा की पिपलिया की मंडी में 8 अगस्त को अधिकतम भाव 6201 रुपए क्विंटल रहा तो न्यूनतम भाव 51 रुपए क्विंटल रहा। आप इस अंतर से समझ सकते हैं कि खराब और अच्छे लहसुन की कीमतों में कितना बड़ा अंतर आ गया है। यही किसान के गुस्से का कारण है।
जावरा मंडी तो और चौंकाती है। यहां जिस दिन अच्छा लहसुन 13 हजार 400 रुपए प्रति क्विंटल बिक जाता है, उसी दिन यहां एक किसान से 71 रुपए किलो के भाव से भी लहसुन खरीदा गया।
इस मंडी ने 45 पैसे किलो न्यूनतम रेट देकर ‘रिकॉर्ड’ बनाया
पिछले दिन के मध्यप्रदेश की मंडियों की पड़ताल करने पर पता चला कि दलोदा ऐसी मंडी है, जहां एक किसान से 45 रुपए क्विंटल में लहसुन खरीद लिया गया। यानी 45 पैसे प्रति किलो। ऐसा करने वाली यह इकलौती मंडी नहीं है। दलोदा के अलावा मनासा, मंदसौर, सैलाना, जावरा, सीहोर, सीतामऊ, शुजालपुर, मंदसौर, श्यामगढ़, रतलाम, महिदपुर, नीमच, नरसिंहगढ़, जावद, कालीपीपल, उज्जैन और इंदौर में भी 100 से लेकर 125 रुपए के आसपास लहसुन खरीदे गए हैं। यही किसानों के गुस्से की वजह बने।
आखिरी यह 45 पैसे वाला लहसुन खपता कहां है?
आप यह समझ गए होंगे कि जिस लहसुन की कीमत उसके आने जाने के भाड़े भी कम मिल रही है, तो ऐसा लहसुन मंडी लाया क्यों लाया जाता है। उससे ज्यादा बड़ा सवाल है, इसे खरीदा क्यों जाते हैं? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब के लिए रतलाम, मंदसौर, इंदौर की मंडियों के दलालों और व्यापारियों से बातचीत की। उन्होंने नाम ने छापने की शर्त पर यह माना कि ऐसा लहसुन अच्छे लहसुन के साथ मिक्स कर दिया जाता है। यह मुनाफे की तरकीब है।
एक और बात पता चली है कि इस तरह के लहसुन को इस्तेमाल गुजरात में भी होता है। इंदौर के लहसुन व्यापारी त्रिलोक सिंह तंवर बताते हैं कि ऐसे लहसुन से गुजरात में पेस्ट व पावडर बनता है। उसे सिंगापुर, मलेशिया हांगकांग, जापान सहित कई देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है। दूसरा, इस बार गुजरात में भी लहसुन जमकर पैदा हुआ है, ऐसे में भी वहां एमपी के लहसुन की डिमांड घट गई है।
एक रु. किलो के विरोध में कृषि मंत्री का पुतला दहन
इसके पूर्व उज्जैन में भारतीय किसान संघ ने शनिवार दोपहर को केंद्र सरकार की निर्यात नीति का विरोध करते हुए लहसुन सड़क पर फेंककर जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने कृषि मंत्री का पुतला जलाते हुए इंदौर-उज्जैन रोड पर चक्काजाम कर किया। किसानों का आरोप है कि सरकार की आयत और निर्यात नीति के कारण उन्हें फसल के भाव नहीं मिल पा रहे हैं।
देवास में लहसुन की शव यात्रा निकाली
लहसुन को लेकर हुए नुकसान को लेकर प्रदेश के कई हिस्सों में आक्रोश है। देवास में रविवार को किसानों ने अनूठे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने प्याज और लहसुन की शवयात्रा निकाली। शव यात्रा में युवा किसान संगठन के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। उन्होंने प्याज और लहसुन के उचित दाम नहीं मिलने पर जमकर नारे बाजी की। किसानों ने कहा कि हमें हमारी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, ऐसे में अगर हमें आत्महत्या करनी पड़ी तो उसके जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा।
आलोट में चक्काजाम
आलोट मंडी में दाम कम मिलने से नाराज किसानों ने मंडी गेट बंद कर सड़क पर चक्काजाम कर दिया। किसानों का कहना है कि व्यापारी मनमर्जी से दाम तय कर रहे हैं। पहले जो लहसुन 600 रुपए क्विंटल में खरीदा था, वहीं लहसुन प्रदर्शन के बाद 1100 रुपए क्विंटल में बिका। मंडी में सोमवार को एक किसान का लहसुन व्यापारी द्वारा 600 रुपए क्विंटल में खरीदने से किसान नाराज हो गए। उनका कहना था कि बहुत कम दाम दिए जा रहे हैं, जबकि उक्त लहसुन अधिक दाम में बिकना चाहिए। इसके बाद किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी और हंगामे की स्थिति बन गई।
रतलाम मंडी में मंदी
रतलाम के पॉवर हाउस रोड स्थित लहसुन-प्याज मंडी में 26 मार्च को मंडी में लहसुन के 8273 कट्टों (प्रति कट्टा पचास किलो) की आवक हुई थी व दाम 500 से 4301 क्विंटल रुपए थे। वहीं अवकाश के बाद मंडी खुलने पर सोमवार को आवक घटकर 5879 कट्टे रह गई। निम्न क्वालिटी का लहसुन 201 रु. व उच्च क्वालिटी का लहसुन 4000 रुपए क्विंटल बिका।
इंदौर। लहसुन की कीमतों ने मालवा-निमाड़ सहित मध्यप्रदेश के किसानों को रुला दिया है। सबसे बड़े उत्पादक रतलाम, मंदसौर, नीमच, इंदौर की मंडियों में थोक में लहसुन 45 पैसे से 1 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है। इससे गुस्साए किसानों ने लहसुन लाना ही बंद कर दिया है। 8 दिन पहले मध्यप्रदेश में 61 हजार क्विंटल लहसुन आया था। यह 13 अगस्त को घटकर 3 हजार क्विंटल ही रह गया है। इसकी एक वजह त्योहार भी है लेकिन भाव नहीं मिलना ही बड़ा कारण है, यह किसान मानते हैं।
देवी अहिल्या होल्कर फल व सब्जी मंडी (चोइथराम) के प्रभारी आरसी परमार ने बताया लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। मौसम के कारण कई इलाकों में लहसुन की फसल बिगड़ गई है। वे कहते हैं कि इस कारण से खराब लहसुन के रेट्स नहीं मिल रहे हैं।
मंडियों के हालात
मालवा की पिपलिया की मंडी में 8 अगस्त को अधिकतम भाव 6201 रुपए क्विंटल रहा तो न्यूनतम भाव 51 रुपए क्विंटल रहा। आप इस अंतर से समझ सकते हैं कि खराब और अच्छे लहसुन की कीमतों में कितना बड़ा अंतर आ गया है। यही किसान के गुस्से का कारण है।
जावरा मंडी तो और चौंकाती है। यहां जिस दिन अच्छा लहसुन 13 हजार 400 रुपए प्रति क्विंटल बिक जाता है, उसी दिन यहां एक किसान से 71 रुपए किलो के भाव से भी लहसुन खरीदा गया।
इस मंडी ने 45 पैसे किलो न्यूनतम रेट देकर ‘रिकॉर्ड’ बनाया
पिछले दिन के मध्यप्रदेश की मंडियों की पड़ताल करने पर पता चला कि दलोदा ऐसी मंडी है, जहां एक किसान से 45 रुपए क्विंटल में लहसुन खरीद लिया गया। यानी 45 पैसे प्रति किलो। ऐसा करने वाली यह इकलौती मंडी नहीं है। दलोदा के अलावा मनासा, मंदसौर, सैलाना, जावरा, सीहोर, सीतामऊ, शुजालपुर, मंदसौर, श्यामगढ़, रतलाम, महिदपुर, नीमच, नरसिंहगढ़, जावद, कालीपीपल, उज्जैन और इंदौर में भी 100 से लेकर 125 रुपए के आसपास लहसुन खरीदे गए हैं। यही किसानों के गुस्से की वजह बने।
आखिरी यह 45 पैसे वाला लहसुन खपता कहां है?
आप यह समझ गए होंगे कि जिस लहसुन की कीमत उसके आने जाने के भाड़े भी कम मिल रही है, तो ऐसा लहसुन मंडी लाया क्यों लाया जाता है। उससे ज्यादा बड़ा सवाल है, इसे खरीदा क्यों जाते हैं? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब के लिए रतलाम, मंदसौर, इंदौर की मंडियों के दलालों और व्यापारियों से बातचीत की। उन्होंने नाम ने छापने की शर्त पर यह माना कि ऐसा लहसुन अच्छे लहसुन के साथ मिक्स कर दिया जाता है। यह मुनाफे की तरकीब है।
एक और बात पता चली है कि इस तरह के लहसुन को इस्तेमाल गुजरात में भी होता है। इंदौर के लहसुन व्यापारी त्रिलोक सिंह तंवर बताते हैं कि ऐसे लहसुन से गुजरात में पेस्ट व पावडर बनता है। उसे सिंगापुर, मलेशिया हांगकांग, जापान सहित कई देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है। दूसरा, इस बार गुजरात में भी लहसुन जमकर पैदा हुआ है, ऐसे में भी वहां एमपी के लहसुन की डिमांड घट गई है।
एक रु. किलो के विरोध में कृषि मंत्री का पुतला दहन
इसके पूर्व उज्जैन में भारतीय किसान संघ ने शनिवार दोपहर को केंद्र सरकार की निर्यात नीति का विरोध करते हुए लहसुन सड़क पर फेंककर जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने कृषि मंत्री का पुतला जलाते हुए इंदौर-उज्जैन रोड पर चक्काजाम कर किया। किसानों का आरोप है कि सरकार की आयत और निर्यात नीति के कारण उन्हें फसल के भाव नहीं मिल पा रहे हैं।
देवास में लहसुन की शव यात्रा निकाली
लहसुन को लेकर हुए नुकसान को लेकर प्रदेश के कई हिस्सों में आक्रोश है। देवास में रविवार को किसानों ने अनूठे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने प्याज और लहसुन की शवयात्रा निकाली। शव यात्रा में युवा किसान संगठन के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। उन्होंने प्याज और लहसुन के उचित दाम नहीं मिलने पर जमकर नारे बाजी की। किसानों ने कहा कि हमें हमारी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, ऐसे में अगर हमें आत्महत्या करनी पड़ी तो उसके जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा।
आलोट में चक्काजाम
आलोट मंडी में दाम कम मिलने से नाराज किसानों ने मंडी गेट बंद कर सड़क पर चक्काजाम कर दिया। किसानों का कहना है कि व्यापारी मनमर्जी से दाम तय कर रहे हैं। पहले जो लहसुन 600 रुपए क्विंटल में खरीदा था, वहीं लहसुन प्रदर्शन के बाद 1100 रुपए क्विंटल में बिका। मंडी में सोमवार को एक किसान का लहसुन व्यापारी द्वारा 600 रुपए क्विंटल में खरीदने से किसान नाराज हो गए। उनका कहना था कि बहुत कम दाम दिए जा रहे हैं, जबकि उक्त लहसुन अधिक दाम में बिकना चाहिए। इसके बाद किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी और हंगामे की स्थिति बन गई।
रतलाम मंडी में मंदी
रतलाम के पॉवर हाउस रोड स्थित लहसुन-प्याज मंडी में 26 मार्च को मंडी में लहसुन के 8273 कट्टों (प्रति कट्टा पचास किलो) की आवक हुई थी व दाम 500 से 4301 क्विंटल रुपए थे। वहीं अवकाश के बाद मंडी खुलने पर सोमवार को आवक घटकर 5879 कट्टे रह गई। निम्न क्वालिटी का लहसुन 201 रु. व उच्च क्वालिटी का लहसुन 4000 रुपए क्विंटल बिका।
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने अगले तीन वर्षों में राज्य के सभी जिलों में अंग्रेजी माध्यम के कॉलेज स्थापित करने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य मूल छात्रों को राज्य में ही उच्च अध्ययन करने की सुविधा प्रदान करना है, राज्य सरकार के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि धार के कारम बांध के आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट करने कार्य करने वाले नागरिकों और संस्थाओं पर सभी प्रदेशवासियों को गर्व है।
इंदौर। लहसुन की कीमतों ने मालवा-निमाड़ सहित मध्यप्रदेश के किसानों को रुला दिया है। सबसे बड़े उत्पादक रतलाम, मंदसौर, नीमच, इंदौर की मंडियों में थोक में लहसुन 45 पैसे से 1 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है।
मंदसौर। 17 जनवरी 2019 को तत्कालीन नपा अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की भाजपा कार्यकर्ता मनीष बैरागी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तीन साल तक न्यायालय में चली सुनवाई के बाद जिला न्यायाधीश ने मुख्य आरोपित मनीष बैरागी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य शासन का संकल्प है कि प्रदेश की धरती पर कोई भी परिवार बिना जमीन और बिना घर के नहीं रहेगा, कोई भी गरीब इलाज से वंचित नहीं रहेगा,
भोपाल (24 जून 2021)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में 21 जून से चलाए जा रहे टीकाकरण महाअभियान के अंतर्गत अब तक लगभग 36 लाख व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन लगायी जा चुकी है। हमें मध्यप्रदेश में शीघ्र ही पूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा कर हर व्यक्ति को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित करना है।
भोपाल (10 जून 2021)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आज पचमढ़ी में धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के जन्म दिवस पर बरगद का पौधा लगाया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 'मेरी अर्धांगनी के जन्मदिन के अवसर पर आज हमने परिवार सहित पेड़ लगाया और ये संकल्प लिया कि हर ख़ुशी के अवसर पर हम पेड़ लगाएँगे, ताकि पर्यावरण को बचाने में हम योगदान दे सकें।
भोपाल ( 4 मई 2021)। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि गरीब के उपचार की व्यवस्था शासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि गरीब व्यक्तियों के लिए नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था के लिए चिकित्सालय चिन्हित किए गए है।
भोपाल। विचार जीवन में सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आप अपना व्यवसाय बिना पूंजी के शुरू कर सकते हैं लेकिन नवीन विचारों के बिना नहीं। स्टार्टअप्स के लिए विचार बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विचार से स्टार्टअप्स और उद्योगों के बीच परस्पर क्रियाओं को जारी रखना सुगम होता है।