भोपाल : 13/08/2021
मध्यप्रदेश के संसाधनों और कौशल से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सुनियोजित विकास की दिशा अब आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की ओर तेजी से कदम बड़ा रही है। इसी साल 8 अप्रैल को लगभग 1891 उद्यमों की शुरूआत इसकी एक बानगी है। प्रदेश में आगामी एक–दो माह में ही 3000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शुरू किए जाने पर काम चल रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार के हाल ही में लागू औद्योगिक भूमि तथा आवंटन एवं प्रबंधन नियम-2021 ने प्रदेश में छोटे-छोटे उद्योगों को लगाने में नव-उद्यमियों के लिए नए द्वार खोले हैं। अब नव-उद्यमी औद्योगिक क्षेत्रों के अविकसित भूखंड भी ले सकेंगे और अपनी तरह से अपने उद्यम की जरूरत के हिसाब से भूखंडों का विकास और आवश्यक निर्माण कर सकेंगे। सरकार की सोच है कि नव-उद्यमी को विकसित भूखंडों में व्यय होने वाली अत्यधिक पूँजी में राहत मिले और वे इस राशि का उपयोग अपने उद्यम की मशीनरी तथा कच्चे माल आदि में कर सकें।
मध्यप्रदेश ने क्लस्टर आधारित उद्योगों में बड़ी छलांग लगाई है और यह क्रम अनवरत है। मध्यप्रदेश के अकूत प्राकृतिक संसाधन और कौशल के व्यापक तथा वास्तविक उपयोग के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा में सतत प्रयास जारी है। मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों की खासियत और कौशल के समन्वय से कलस्टर आधारित उद्यमों में बड़ा निवेश और रोजगार सम्भावित है। इंदौर में खिलौना और फर्नीचर कलस्टर, जबलपुर में टेक्सटाइल कलस्टर, सागर में नए फर्नीचर हब, बैतूल में बाँस कलस्टर जैसे अनेक कलस्टर के साथ नव उद्यमी आगे आए हैं। भारत सरकार ने भी कलस्टर आधारित मध्यप्रदेश के प्रस्तावों को बड़े पैमाने पर मंजूरी दी है।
इसी दिशा में भारत सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रम अंतर्गत कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर का एक प्रस्ताव एवं अधोसंरचना विकास के 11 प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं। भारत सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रम अंतर्गत बैतूल जिले में गुड़ निर्माण करने वाली इकाइयों के लिये कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर का प्रस्ताव और गुना जिले में बहुमंजिला औद्योगिक कॉम्प्लेक्स का प्रस्ताव भी है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग द्वारा नये विभागीय औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम-2021 से अब नवीन नियमों में पहली बार अविकसित शासकीय भूमि को निजी विकासकों को आवंटित करने की योजना बनाई गई है। योजना में 6 विकासकों द्वारा क्लस्टर विकसित करने पर भी भूमि का आवंटन हो सकेगा। बुरहानपुर में टेक्सटाइल क्लस्टर विकसित करने की भी भारत सरकाए से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।
वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्य 7680.65 लाख रूपये के विरूद्ध 8881.80 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान भी वितरित किया गया है, जो लक्ष्य का 116 प्रतिशत है। इस वर्ष अब तक 2090.44 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान वितरित कर उद्योगों को संजीवनी दी गई है।
विभाग ने वृहद स्तर पर प्रयास कर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अप्रैल में 1891 एमएसएमई इकाइयों का एक साथ शुभारंभ करवाया था। इन 1891 इकाइयों में से 776 इकाइयाँ स्थापित की जा चुकी हैं और इनमें रूपये 1160.90 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश एवं 14 हजार 15 व्यक्तियों को रोजगार सृजित हुआ है। कोरोना काल में भी एमएसएमई विभाग के जिला कार्यालयों द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन की सतत आपूर्ति के लिये निरंतर सहयोग प्रदान किया गया।
प्रदेश में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास कार्यों के लिये वर्ष 2021-22 में अब तक कुल राशि 21.74 करोड़ रूपये की वित्तीय स्वीकृति विभिन्न क्रियान्वयन संस्थाओं को मंजूर की गई है। भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय की योजनांतर्गत ग्वालियर में एपेरल इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है। राज्य में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में योजनाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अपनी स्थापना के बाद से विभाग ने विभिन्न पहलों के माध्यम से एमएसएमई विकास के लिए एक अनुकूल पारिस्थिति-तंत्र स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस अवधि के दौरान सूक्ष्म और लघु उद्यम के क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बनाई है। राज्य के एमएसएमई को एक आशाजनक वातावरण प्रदान करने के प्रयास और प्रतिबद्धता के कारण ही क्लस्टर विकास के लिए भारत सरकार की योजनाओ का लाभ प्रदेश को लगातार मिल रहा है।
यही कारण है कि प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और क्षमता बढ़ाने के लिए कलस्टर का भरपूर उपयोग हो पा रहा है।
प्रदेश में सामान्य सुविधा केंद्र प्रस्ताव के तहत भी सामान्य उत्पादन, प्र-संस्करण केंद्र, परीक्षण सुविधाएँ, डिजाइन केंद्र, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, प्रशिक्षण केंद्र, अनुसंधान एवं विकास केंद्र, कच्चा माल बैंक और बिक्री डिपो जैसी मूर्त "परिसंपत्तियों" को शामिल किया गया है। उत्पाद प्रदर्शन केंद्र और सूचना केंद्र स्थापना के लिए 15.31 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए हैं।
प्रदेश में बड़ी संख्या में आईडी अपग्रेडेशन सहित इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (आईडी) प्रस्ताव भी स्वीकृत हुए हैं, जिसमें भूमि का विकास, जलापूर्ति का प्रावधान, जल निकासी, बिजली वितरण के लिए ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत, सड़कों का निर्माण, प्राथमिक चिकित्सा जैसी सामान्य सुविधाएँ शामिल हैं। केंद्र प्रवर्तित इस स्कीम से कैंटीन, नए औद्योगिक (बहु-उत्पाद) क्षेत्रों, संपदाओं या मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों, संपदाओं के समूहों में अन्य आवश्यकता आधारित आधारभूत सुविधाएँ मुहैया होंगी।
फिलहाल राज्य में एमएसएमई में 69 हजार 237 पंजीयन हुए हैं और इन इकाइयों में 15,744.50 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ही 6.62 लाख रोजगार सृजित किये गए हैं।
मध्यप्रदेश सरकार अपनी एमएसएमई विकास नीति के माध्यम से पात्र औद्योगिक संस्थाओं को विकास सब्सिडी और रियायत भी प्रदान करता है। विभाग ने इस अवधि के दौरान 173 करोड़ रुपये की राशि से लगभग 2000 इकाइयों को सहायता प्रदान की है।
राजेश बैन
भोपाल : 13/08/2021
मध्यप्रदेश के संसाधनों और कौशल से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सुनियोजित विकास की दिशा अब आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की ओर तेजी से कदम बड़ा रही है। इसी साल 8 अप्रैल को लगभग 1891 उद्यमों की शुरूआत इसकी एक बानगी है। प्रदेश में आगामी एक–दो माह में ही 3000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शुरू किए जाने पर काम चल रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार के हाल ही में लागू औद्योगिक भूमि तथा आवंटन एवं प्रबंधन नियम-2021 ने प्रदेश में छोटे-छोटे उद्योगों को लगाने में नव-उद्यमियों के लिए नए द्वार खोले हैं। अब नव-उद्यमी औद्योगिक क्षेत्रों के अविकसित भूखंड भी ले सकेंगे और अपनी तरह से अपने उद्यम की जरूरत के हिसाब से भूखंडों का विकास और आवश्यक निर्माण कर सकेंगे। सरकार की सोच है कि नव-उद्यमी को विकसित भूखंडों में व्यय होने वाली अत्यधिक पूँजी में राहत मिले और वे इस राशि का उपयोग अपने उद्यम की मशीनरी तथा कच्चे माल आदि में कर सकें।
मध्यप्रदेश ने क्लस्टर आधारित उद्योगों में बड़ी छलांग लगाई है और यह क्रम अनवरत है। मध्यप्रदेश के अकूत प्राकृतिक संसाधन और कौशल के व्यापक तथा वास्तविक उपयोग के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा में सतत प्रयास जारी है। मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों की खासियत और कौशल के समन्वय से कलस्टर आधारित उद्यमों में बड़ा निवेश और रोजगार सम्भावित है। इंदौर में खिलौना और फर्नीचर कलस्टर, जबलपुर में टेक्सटाइल कलस्टर, सागर में नए फर्नीचर हब, बैतूल में बाँस कलस्टर जैसे अनेक कलस्टर के साथ नव उद्यमी आगे आए हैं। भारत सरकार ने भी कलस्टर आधारित मध्यप्रदेश के प्रस्तावों को बड़े पैमाने पर मंजूरी दी है।
इसी दिशा में भारत सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रम अंतर्गत कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर का एक प्रस्ताव एवं अधोसंरचना विकास के 11 प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं। भारत सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रम अंतर्गत बैतूल जिले में गुड़ निर्माण करने वाली इकाइयों के लिये कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर का प्रस्ताव और गुना जिले में बहुमंजिला औद्योगिक कॉम्प्लेक्स का प्रस्ताव भी है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग द्वारा नये विभागीय औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम-2021 से अब नवीन नियमों में पहली बार अविकसित शासकीय भूमि को निजी विकासकों को आवंटित करने की योजना बनाई गई है। योजना में 6 विकासकों द्वारा क्लस्टर विकसित करने पर भी भूमि का आवंटन हो सकेगा। बुरहानपुर में टेक्सटाइल क्लस्टर विकसित करने की भी भारत सरकाए से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।
वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्य 7680.65 लाख रूपये के विरूद्ध 8881.80 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान भी वितरित किया गया है, जो लक्ष्य का 116 प्रतिशत है। इस वर्ष अब तक 2090.44 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान वितरित कर उद्योगों को संजीवनी दी गई है।
विभाग ने वृहद स्तर पर प्रयास कर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अप्रैल में 1891 एमएसएमई इकाइयों का एक साथ शुभारंभ करवाया था। इन 1891 इकाइयों में से 776 इकाइयाँ स्थापित की जा चुकी हैं और इनमें रूपये 1160.90 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश एवं 14 हजार 15 व्यक्तियों को रोजगार सृजित हुआ है। कोरोना काल में भी एमएसएमई विभाग के जिला कार्यालयों द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन की सतत आपूर्ति के लिये निरंतर सहयोग प्रदान किया गया।
प्रदेश में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास कार्यों के लिये वर्ष 2021-22 में अब तक कुल राशि 21.74 करोड़ रूपये की वित्तीय स्वीकृति विभिन्न क्रियान्वयन संस्थाओं को मंजूर की गई है। भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय की योजनांतर्गत ग्वालियर में एपेरल इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है। राज्य में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में योजनाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अपनी स्थापना के बाद से विभाग ने विभिन्न पहलों के माध्यम से एमएसएमई विकास के लिए एक अनुकूल पारिस्थिति-तंत्र स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस अवधि के दौरान सूक्ष्म और लघु उद्यम के क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बनाई है। राज्य के एमएसएमई को एक आशाजनक वातावरण प्रदान करने के प्रयास और प्रतिबद्धता के कारण ही क्लस्टर विकास के लिए भारत सरकार की योजनाओ का लाभ प्रदेश को लगातार मिल रहा है।
यही कारण है कि प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और क्षमता बढ़ाने के लिए कलस्टर का भरपूर उपयोग हो पा रहा है।
प्रदेश में सामान्य सुविधा केंद्र प्रस्ताव के तहत भी सामान्य उत्पादन, प्र-संस्करण केंद्र, परीक्षण सुविधाएँ, डिजाइन केंद्र, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, प्रशिक्षण केंद्र, अनुसंधान एवं विकास केंद्र, कच्चा माल बैंक और बिक्री डिपो जैसी मूर्त "परिसंपत्तियों" को शामिल किया गया है। उत्पाद प्रदर्शन केंद्र और सूचना केंद्र स्थापना के लिए 15.31 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए हैं।
प्रदेश में बड़ी संख्या में आईडी अपग्रेडेशन सहित इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (आईडी) प्रस्ताव भी स्वीकृत हुए हैं, जिसमें भूमि का विकास, जलापूर्ति का प्रावधान, जल निकासी, बिजली वितरण के लिए ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत, सड़कों का निर्माण, प्राथमिक चिकित्सा जैसी सामान्य सुविधाएँ शामिल हैं। केंद्र प्रवर्तित इस स्कीम से कैंटीन, नए औद्योगिक (बहु-उत्पाद) क्षेत्रों, संपदाओं या मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों, संपदाओं के समूहों में अन्य आवश्यकता आधारित आधारभूत सुविधाएँ मुहैया होंगी।
फिलहाल राज्य में एमएसएमई में 69 हजार 237 पंजीयन हुए हैं और इन इकाइयों में 15,744.50 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ही 6.62 लाख रोजगार सृजित किये गए हैं।
मध्यप्रदेश सरकार अपनी एमएसएमई विकास नीति के माध्यम से पात्र औद्योगिक संस्थाओं को विकास सब्सिडी और रियायत भी प्रदान करता है। विभाग ने इस अवधि के दौरान 173 करोड़ रुपये की राशि से लगभग 2000 इकाइयों को सहायता प्रदान की है।
राजेश बैन
कृषि क्षेत्र में अपरिमित संभावनाओं के द्वार खोलकर कैसे किसानों को अग्रणी और आत्म-निर्भर बनाया जा सकता है, इसका मध्यप्रदेश स्वर्णिम आदर्श प्रस्तुत कर रहा है।
सदी की सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदा - कोरोना महामारी, जिसने समूचे विश्व को हिला कर रख दिया, से जूझना तथा उससे प्रदेश को सफलतापूर्वक न्यूनतम हानि के साथ बाहर निकाल ले जाना किसी भागीरथ प्रयास से कम नहीं था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प और साहसी निर्णयों ने आज मध्यप्रदेश को विकासशील राज्य की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा किया है।
मध्यप्रदेश के संसाधनों और कौशल से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सुनियोजित विकास की दिशा अब आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की ओर तेजी से कदम बड़ा रही है।
वन्य प्राणी के स्वच्छंद विचरण से प्रकृति का सौंदर्य कई गुना बढ जाता है। वन्य प्राणी आम-जन के आस-पास रहते हुए सह-अस्तित्व की स्थिति का स्मरण कराते रहते हैं।
'आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश' की आत्मा 'वोकल फार लोकल' में निहित है। आत्मा की इस आवाज पर ही स्थानीय शिल्प कला, संस्कृति में प्रदेश की पुरा-सम्पदा और हुनर को शामिल कर प्रदेश के आर्थिक विकास की नींव को मजबूत बनाने का काम किया जा रहा है।
प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की बड़ी आबादी निवास करती है। जनजातीय समाज के समग्र विकास के लिए केन्द्र और राज्य सरकार सदैव कटिबद्ध रही है।
देश और दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु असंतुलन और बिजली के अपव्यय से बचाने के लिये ऊर्जा साक्षरता अभियान (ऊषा) के रूप में लोगों को जागरूक करने की अनूठी पहल मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने की है।
वर्तमान में मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक गौवंश और गौशालाओं वाला प्रदेश है। यहाँ गौवंश के विकास, गौ-पालन, गौ-संरक्षण, गौ-संवर्धन और गौ आधारित उत्पादों के संवर्धन के लिये सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं।