देश को ऊर्जा साक्षरता का पाठ पढ़ायेगा मध्यप्रदेश

भोपाल : 30/11/2021

देश और दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु असंतुलन और बिजली के अपव्यय से बचाने के लिये ऊर्जा साक्षरता अभियान (ऊषा) के रूप में लोगों को जागरूक करने की अनूठी पहल मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने की है। अभियान में प्रदेश के साढ़े 7 करोड़ नागरिकों को समयबद्ध कार्य-योजना बनाकर ऊर्जा साक्षर बनाने के प्रयास किये जायेंगे। पहले 6 महीनों में 50 लाख नागरिकों को ऊर्जा साक्षर बनाने का लक्ष्य है।
अभियान का उद्देश्य लोगों को ऊर्जा प्रयोग के प्रति संवेदनशील बनाते हुए आगामी वर्षों में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु संतुलन के दुष्प्रभावों से बचाना है। इसके अंतर्गत ऊर्जा के व्यय एवं अपव्यय की समझ विकसित करना, ऊर्जा के पारम्परिक एवं वैकल्पिक साधनों की जानकारी देना, उनका पर्यावरण पर प्रभाव, ऊर्जा एवं ऊर्जा के उपयोग के बारे में सार्थक संवाद, ऊर्जा संरक्षण एवं प्रबंधन के बारे में जागरूकता, ऊर्जा उपयोग के प्रभावों, परिणामों की समझ के आधार पर इसके दक्ष उपयोग के लिये निर्णय लेने की दक्षता उत्पन्न करना, पर्यावरणीय जोखिम एवं जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करना और विभिन्न ऊर्जा तकनीकों के चयन के लिये लोगों को सक्षम बनाया जायेगा।

स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों सहित जन-साधारण को ऊर्जा की महत्ता, पारम्परिक ऊर्जा से होने वाला कार्बन उत्सर्जन, सौर, पवन, बॉयोमॉस आदि हरित ऊर्जा के लाभ और मितव्ययता आदि की विस्तृत जानकारी दी जायेगी। अभियान के जरिये लोगों को बताया जायेगा कि एक यूनिट बिजली बचाने से लगभग 2 यूनिट बिजली का उत्पादन बढ़ता है।

नई पीढ़ी द्वारा ऊर्जा निर्माण और सदुपयोग में जागरूकता के दूरगामी परिणाम होंगे। ऊर्जा उपयोग के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ की जानकारी सुलभ रूप में पहुँचाने और अपनाने का कार्य मिशन के रूप में किया जायेगा। श्रेणीगत प्रशिक्षण के माध्यम से चरण-बद्ध सर्टिफिकेशन का भी प्रावधान किया गया है।

प्रदेश के सभी नागरिकों को समय-बद्ध कार्य-योजना के अनुसार ऊर्जा साक्षर बनाया जायेगा। पोस्टर, होर्डिंग, एनीमेशन, वीडियो, सोशल मीडिया, जिंगल्स, मोबाइल एप, स्वयं करके देखो आदि विधाओं द्वारा रोचक तरीके से लोगों को क्लीन ऊर्जा के संवर्धन और संरक्षण के लिये प्रेरित किया जायेगा।

 मोबाइल से होगा पंजीयन

ऊर्जा साक्षरता अभियान से जुड़ना पूरी तरह नि:शुल्क है। वेब पोर्टल या मोबाइल एप से एप डाउनलोड कर मोबाइल ओटीपी के माध्यम से पंजीयन होगा। इसके बाद लोग अपनी इच्छानुसार निर्धारित पाठ्यक्रमों में से एक का चयन कर सकेंगे। पाठ्यक्रम के चयन पर प्रतिभागियों को पाठ्यक्रम (मॉड्यूल) डाउनलोड करने की सुविधा मिलेगी। प्रतिभागी अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन पद्धति से बहु-विकल्पीय प्रश्नों के रूप में एक परीक्षा में भाग ले सकेगा। प्रश्न कम्प्यूटर द्वारा रेंडम आधार पर होंगे। प्रतिभागी के उत्तरों के आधार पर ऑनलाइन ऊर्जा साक्षरता प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा। प्रमाण-पत्र ओटीपी वेरीफिकेशन से डाउनलोड किया जा सकेगा। प्रतिभागियों को श्रेणी सुधार एवं अन्य उच्च स्तर पर परीक्षा में सम्मिलित होने की सुविधा भी होगी।

मिलेगी प्रत्यक्ष जानकारी

जन-साधारण को अक्षय ऊर्जा उपयोग की ओर प्रेरित करने के लिये अक्षय ऊर्जा आधारित संयंत्रों की स्थापना का प्रदर्शन भी किया जायेगा। चुने हुए शासकीय कार्यालयों, आँगनवाड़ी भवनों, चिन्हित चिकित्सा केन्द्रों आदि को सौर ऊर्जीकृत किया जायेगा। बड़े शासकीय भवनों में "शून्य निवेश'' आधारित "रेस्को'' मॉडल पर रूफटॉप संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। तकनीकी शिक्षा विभाग के 12 तकनीकी संस्थानों को ऑफग्रिड किया जाकर पूर्ण रूप से सौर ऊर्जीकृत किया जा रहा है। प्रदर्शन स्थलों की सफलता की कहानियों को विभिन्न माध्यमों से लोगों के बीच पहुँचाया जा रहा है।

विकास की अंधाधुंध दौड़ के परिणाम स्वरूप उपजी ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु असंतुलन को नियंत्रित करने में ऊर्जा साक्षरता अभियान एक महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट सिद्ध होगा। कहते हैं बूंद-बूंद से घट भरता है। उम्मीद की जा रही है कि मध्यप्रदेश में हुई इस महत्वपूर्ण पहल का देश के अन्य राज्यों पर भी असर पड़ेगा। मध्यप्रदेश का यह नवाचार जब देश-दुनिया में फैलेगा, तो निश्चित ही अनियंत्रित होते हुए पर्यावरण में सुधार होगा, जो हमारे द्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिये एक अनमोल सौगात होगी।

 सुनीता दुबे

देश को ऊर्जा साक्षरता का पाठ पढ़ायेगा मध्यप्रदेश

भोपाल : 30/11/2021

देश और दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु असंतुलन और बिजली के अपव्यय से बचाने के लिये ऊर्जा साक्षरता अभियान (ऊषा) के रूप में लोगों को जागरूक करने की अनूठी पहल मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने की है। अभियान में प्रदेश के साढ़े 7 करोड़ नागरिकों को समयबद्ध कार्य-योजना बनाकर ऊर्जा साक्षर बनाने के प्रयास किये जायेंगे। पहले 6 महीनों में 50 लाख नागरिकों को ऊर्जा साक्षर बनाने का लक्ष्य है।
अभियान का उद्देश्य लोगों को ऊर्जा प्रयोग के प्रति संवेदनशील बनाते हुए आगामी वर्षों में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु संतुलन के दुष्प्रभावों से बचाना है। इसके अंतर्गत ऊर्जा के व्यय एवं अपव्यय की समझ विकसित करना, ऊर्जा के पारम्परिक एवं वैकल्पिक साधनों की जानकारी देना, उनका पर्यावरण पर प्रभाव, ऊर्जा एवं ऊर्जा के उपयोग के बारे में सार्थक संवाद, ऊर्जा संरक्षण एवं प्रबंधन के बारे में जागरूकता, ऊर्जा उपयोग के प्रभावों, परिणामों की समझ के आधार पर इसके दक्ष उपयोग के लिये निर्णय लेने की दक्षता उत्पन्न करना, पर्यावरणीय जोखिम एवं जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करना और विभिन्न ऊर्जा तकनीकों के चयन के लिये लोगों को सक्षम बनाया जायेगा।

स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों सहित जन-साधारण को ऊर्जा की महत्ता, पारम्परिक ऊर्जा से होने वाला कार्बन उत्सर्जन, सौर, पवन, बॉयोमॉस आदि हरित ऊर्जा के लाभ और मितव्ययता आदि की विस्तृत जानकारी दी जायेगी। अभियान के जरिये लोगों को बताया जायेगा कि एक यूनिट बिजली बचाने से लगभग 2 यूनिट बिजली का उत्पादन बढ़ता है।

नई पीढ़ी द्वारा ऊर्जा निर्माण और सदुपयोग में जागरूकता के दूरगामी परिणाम होंगे। ऊर्जा उपयोग के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ की जानकारी सुलभ रूप में पहुँचाने और अपनाने का कार्य मिशन के रूप में किया जायेगा। श्रेणीगत प्रशिक्षण के माध्यम से चरण-बद्ध सर्टिफिकेशन का भी प्रावधान किया गया है।

प्रदेश के सभी नागरिकों को समय-बद्ध कार्य-योजना के अनुसार ऊर्जा साक्षर बनाया जायेगा। पोस्टर, होर्डिंग, एनीमेशन, वीडियो, सोशल मीडिया, जिंगल्स, मोबाइल एप, स्वयं करके देखो आदि विधाओं द्वारा रोचक तरीके से लोगों को क्लीन ऊर्जा के संवर्धन और संरक्षण के लिये प्रेरित किया जायेगा।

 मोबाइल से होगा पंजीयन

ऊर्जा साक्षरता अभियान से जुड़ना पूरी तरह नि:शुल्क है। वेब पोर्टल या मोबाइल एप से एप डाउनलोड कर मोबाइल ओटीपी के माध्यम से पंजीयन होगा। इसके बाद लोग अपनी इच्छानुसार निर्धारित पाठ्यक्रमों में से एक का चयन कर सकेंगे। पाठ्यक्रम के चयन पर प्रतिभागियों को पाठ्यक्रम (मॉड्यूल) डाउनलोड करने की सुविधा मिलेगी। प्रतिभागी अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन पद्धति से बहु-विकल्पीय प्रश्नों के रूप में एक परीक्षा में भाग ले सकेगा। प्रश्न कम्प्यूटर द्वारा रेंडम आधार पर होंगे। प्रतिभागी के उत्तरों के आधार पर ऑनलाइन ऊर्जा साक्षरता प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा। प्रमाण-पत्र ओटीपी वेरीफिकेशन से डाउनलोड किया जा सकेगा। प्रतिभागियों को श्रेणी सुधार एवं अन्य उच्च स्तर पर परीक्षा में सम्मिलित होने की सुविधा भी होगी।

मिलेगी प्रत्यक्ष जानकारी

जन-साधारण को अक्षय ऊर्जा उपयोग की ओर प्रेरित करने के लिये अक्षय ऊर्जा आधारित संयंत्रों की स्थापना का प्रदर्शन भी किया जायेगा। चुने हुए शासकीय कार्यालयों, आँगनवाड़ी भवनों, चिन्हित चिकित्सा केन्द्रों आदि को सौर ऊर्जीकृत किया जायेगा। बड़े शासकीय भवनों में "शून्य निवेश'' आधारित "रेस्को'' मॉडल पर रूफटॉप संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। तकनीकी शिक्षा विभाग के 12 तकनीकी संस्थानों को ऑफग्रिड किया जाकर पूर्ण रूप से सौर ऊर्जीकृत किया जा रहा है। प्रदर्शन स्थलों की सफलता की कहानियों को विभिन्न माध्यमों से लोगों के बीच पहुँचाया जा रहा है।

विकास की अंधाधुंध दौड़ के परिणाम स्वरूप उपजी ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु असंतुलन को नियंत्रित करने में ऊर्जा साक्षरता अभियान एक महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट सिद्ध होगा। कहते हैं बूंद-बूंद से घट भरता है। उम्मीद की जा रही है कि मध्यप्रदेश में हुई इस महत्वपूर्ण पहल का देश के अन्य राज्यों पर भी असर पड़ेगा। मध्यप्रदेश का यह नवाचार जब देश-दुनिया में फैलेगा, तो निश्चित ही अनियंत्रित होते हुए पर्यावरण में सुधार होगा, जो हमारे द्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिये एक अनमोल सौगात होगी।

 सुनीता दुबे

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